रंगों का राजा
रंगों का राजा मुस्काता
होली के त्यौहार पर
दोनों मुट्ठी गुलाल हो जब
गाल गुलाबी हो जाये तब
थिरक उठे हैं पाँव सभी के
बसंत की बौछार पर
रंगों का राजा मुस्काता
होली के त्यौहार पर
प्रकट हुए प्रल्हाद के लिए
तारणहार उन्माद के लिए
भस्म हुई जब तम की नगरी
हर्ष मनाया हार पर
रंगों का राजा मुस्काता
होली के त्यौहार पर