रंगीला बचपन
रंगीला बचपन
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रंग-रंगीला बचपन हमारा
कितना भोला और प्यारा।
बरसता सब तरफ से बस प्यार ही प्यार
पापा-मम्मी और दादा-दादी का दुलार।
पहुंचे जब कभी हम ननिहाल
मत पूछो भाई तब की हाल।
मामा-मामी और नाना-नानी
खूब खातिरदारी करते सभी।
रंग-रंगीला बचपन हमारा
कितना भोला और प्यारा।
न आज की चिंता, न कल की
डर न फिकर किसी प्रकार की।
कितना आया, कितना गया
कौन आया और कौन गया ?
मतलब न रहता किसी बात की
मतलब रहता भरपेट खाने की।
खेलना-कूदना और मस्त रहना
मन लगे तो कुछ देर पढ़ लेना।
रंग-रंगीला बचपन हमारा
कितना भोला और प्यारा।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़