रंगमंच का हर किरदार मुबारक है
जिस्म रूह के संगम का हर इक अवतार मुबारक है
दुनिया के इस रंगमंच का हर किरदार मुबारक है
सौ झूठों पर भारी पड़ जाता है सच्चा मौन यहाँ
खुशियाँ बिक जाती हैं कहे गम मुझे खरीदे कौन यहाँ
सुख-दुख के इस मेले में मैं गम में डूबा रहता हूँ
गम की पीड़ा समझी तो दुनिया वालों से कहता हूँ
खुशियों की बढ़ा दे चाहत जो वो गम भी यार मुबारक है
दुनिया के इस रंगमंच का हर किरदार मुबारक है
अहंकार की हीनभावना करे रक्त का हरदम पान
ये कैसी दुश्मनी निभाए पीढ़ी दर पीढ़ी इंसान
आँखों में अंगार लिए जो अपना सुधबुध खो बैठा
मिला प्यार तो वही लिपटकर के सीने से रो बैठा
मन के मैल को धोए जो आँसू की धार मुबारक है
दुनिया के इस रंगमंच का हर किरदार मुबारक है
बिन दरिया का कोई समंदर इस दुनिया में नहीं रहा
विश्वजेता बना सिकंदर भी दुनिया में नहीं रहा
शर्त यही है जीवन की सरगम गूँजे संगीत मिले
फर्क नहीं पड़ता फिर कुछ भी हार मिले या जीत मिले
जीत ले दिल जो औरों का ऐसी हर हार मुबारक है
दुनिया के इस रंगमंच का हर किरदार मुबारक है