रँगों से प्यार की बौछार हो, इस बार होली में।
होली पर कुछ मुक्तक
1.
रँगों से प्यार की बौछार हो, इस बार होली में।
खिलेंगे फिर नये गुल, कुछ न कुछ इस बार होली में।
कि दो गज दूरियों के चलते, जिनको रँग न पाए हम,
न छोड़ेंगे उन्हें हम यारो, अबकी बार होली में।
2.
अगर पीना जरूरी हो, तो रखना ध्यान होली में,
कहीं नाली मे बन जाए, न शयनागार होली में।
लड़ाई झगड़े से बचना, न रँँग में भंग हो यारो,
मगर सह लेना, करना वार भी, नैनों से होली में।
3.
चले जब बात रंगों की, सभी रँग डालो होली में,
न करना भेद कोई, घाघरा कुर्ता व चोली में।
कोई भी वस्त्र हों, नारी या नर, सब रँग में डूबे हों,
बहा दो रंगों की गंगा जी, अबकी बार होली में।
4.
हर इक से प्यार हो, मौका मिलेगा यार होली मे,
अगर मिल जाए महबूबा तुम्हें, जाती हो डोली में,
लगाकर रंग दिल के अरमाँ, आंसू में बहा देना,
औ हँस के करना, टाटा बाई बाई यार होली में।
5.
बजाओ चंग पी लो भंग, गाओ फाग होली में।
उड़ाओ रंग थोड़ा प्यार का, दुखियों पे होली में।
तुम्हें खुशियाँ मुबारक हों बहुत, बस ध्यान ये रखना,
न कोई एक भी भूखा हो, घर के पास होली में
……✍️प्रेमी