यौवन
यौवन
यौवन हूं मै
अजिंक्य हूं
युवक हो सकता पराजित
लेकिन मै अपराजित हूं ।। धृ ।।
मै बूंद हूं उस सागर का
लहरों से थोड़ा ही
डर जाऊंगा
हूं किरन उस सूरज का
ज्वाला से ना मीट पाऊंगा ।। १ ।।
हिमालय की चोटी हूं मै
सागर की गहराई हूं
गगन की विशालता और
गंगा की पावनता हूं ।। २ ।।
मै राष्ट्र का हुंकार हूं
वेदोंका सार हूं
देश का आस्तित्व हूं मै
भारत मा की ऊर्जा हूं ।। ३ ।।
रचनाकार
©️ कवि शशांक कुलकर्णी
( यह कविता शशांक कुलकर्णी लिखित ‘ नाद आंतरिचा ‘ इस कविता संग्रह से लियी गई है। )