यौवन.. ही…तो वसंत हैं…
आई आई अलबेली वसंत की रानी,
प्रकृति में यौवन भरने…
नई नवेली दुल्हन सी सजके,
सोलह श्रृंगार में अप्सरा सी दिसे..
उसकी संगत में कोमल कलियाँ खिली हैं,
हर पौधे में उल्लास भर नवपल्लविती करने..
ऋतुओ को राजा वसंत हैं
शोभे हैं ये तो सृष्टि में वसंत रानी के संगमें..
चारों तरफ़ हर्षोल्लास का मौसम,
बिखेरे हैं… नज़ाकत को प्रकृतिमें..
चहक चहक पंछी गाये,शोर मचाते,
अनोखा त्यौहार मनाएं..
आएंगे हरियाले दिन जगमें,
करती हैं इशारा ये वसंत की बेला…
ये..जो वसंत हैं.. वो यौवन हैं..
यौवन.. ही…तो वसंत हैं…