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15 Feb 2024 · 2 min read

* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *

* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *

डॉ अरूण कुमार शास्त्री _एक अबोध बालक _अरूण अतृप्त

मेरी उमर के नौ जवानों ने देखी है
तस्वीर बदलती पल पल भारत की
सीना तान ऊंचा भाल नजरें लक्ष्य पर
अविचलित दूरदृष्टि सधे कदम से
विकसित होती ये दुनिया
मेरी उमर के नौ जवानों ने देखी है
झुकती हुई वो दुनिया जो कभी
दिखाती थी आन्खें हमको डराती थी
अपने बाहुबल से हथियारों के बल से
बदलती तस्वीर इस दुनिया की
मेरी उमर के नौ जवानों ने देखी है
विज्ञान की होती बेश्कीमती खोजें
आकाश में आदमी की उडान
धरती से चांद, चांद से मंगल, मंगल से शनि
फिर शनि से सूर्य तक की बैखाफ़ परवाज़

मेरी उमर के नौ जवानों ने देखा है

बेसिक लेन्ड लाइन फोन से

अल्ट्रा स्मार्ट फोन का पदार्पण

मेरी उमर के नौ जवानों ने देखी है

चिकित्सा विज्ञान में अभूतपूर्ण तरक्की

लोहे के कुल्हे लोहे के घुटने और

कृत्रिम हृदय व अन्य मूलांग लगते

रोबोट सर्जरी लोगों द्वारा किये जा रहे

स्वेच्छिक मन से इच्छाओं से अंग दान

बचाते हुए जीवन को , मृत्युपरांत भी

मेरी उमर के नौ जवानों ने देखी है

भीषण से भीषण बीमारियां चेचक प्लेग

और कोविद जैसे मानव भक्खशी

मेरी उमर के नौ जवानों ने देखी है

प्राकृतिक आपदायें उनसे लड़ते झूझते

असहाय मानव बिलखते बच्चे, पिघलते भू खण्ड

मेरी उमर के नौ जवानों ने देखी है

भयंकर से भयंकर विनाश लीला

और उनसे सीखा है फिर से जीत जाना

न मानी हार न टूटना भले ही मर जाना

लड़ते लड़ते शहीद हो जाना, तब जाकर मिली है

ये विकसित दुनिया मेरे बच्चों तुमको

हम आज भी लड रहे हैं और पहले भी लड रहे थे

और आगे भी लड़ते रहंगे कब् सीखा हमने

हार जाना मेरी उमर के नौ जवानों ने सीखा है

अपनी कौम को देकर जाना

एक सशक्त मजबूत और जिन्दा दिल जोश

समाज, विश्व और आनन्द से मुस्कुराना

हमको आशा है विश्वास भी है ये तुम कभी न भूल जाना

Language: Hindi
1 Like · 188 Views
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