योद्धा
लक्ष्य की राह पर चलना कर्म
और उसे पाना भक्ति है,
ज्ञान कर्म और भक्ति का पारस्परिक
संबध जानना शक्ति है।
अमुक व्यक्ति के निवास को जानना ज्ञान है,
उस तक की राह को तय करना कर्म
दरवाजे पे दस्तक विन्रम भाव से
आएं वो सहर्ष हो मुलाकात भक्ति है।
परमपुरूषत्व की प्राप्ति हेतु
चुनें मानवता का मार्ग,
क्षुद्रता हीन भावना के विरुद्ध
करें निरंतर संघर्ष
परमात्मा को आत्मसात करके
आगे बढते रहें।
पहुँचायें शास्त्रों के संदेश
छुएं मानव ह्रदय को,
मत भागो सतही सुखद मृगतृष्णा के पीछे
करो खुद को सर्वगुण मे स्थापित।
न करें अवहेलना मित्र के प्रेम की
हर उपहार को रक्खें सँजो कर,
शांत मन से सोचें कितना किया
और कर रहा
आगे करने को तैयार।
बढो आगे निडर होकर
बिजली चमके या शूल चुभे,
नैतिकता के जन्मजात सेनानी
युद्ध से निष्क्रिय रहना और भागना,
है स्वभाव के विरुद्ध
योद्धा हो तुम विजयी बनो विजयी रहो।
स्वरचित मौलिक
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर
प्रतियोगिता प्रतिभागी