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1 Feb 2021 · 1 min read

ये ख़त मोहब्बत के

तू मेरी राधा,
मैं तेरा कृष्णा ।
तेरा ही लगा है,
मुझको ये तृष्णा ।।

जाने अनजाने में जानम ,
मैं तुमसे प्यार कर बैठा हूँ ।
क्या गुस्ताखी हो गई मुझसे ?
जो तुझसे आँखें चार कर बैठा हूँ ।।

मैं प्रेम करता हूँ तुमसे,
तुम क्यों, करती हो नफरत ?
तेरा दिल मैं जीतने का,
रखता हूँ सदा हसरत ।।

नाराज ना होना मुझसे तुम,
करता हूँ मोहब्बत तुमसे ।
तेरे प्यार में पागल हो गया हूँ,
देखा हूँ तुमको जबसे ।।

तुझे अपना बनाऊँगा,
मैंने कह दिया है रबसे ।
मेरा प्रेम इतिहास बनेगा,
ऐलान कर दिया मैं सबसे ।।

मुझे जो ना मिली तुम तो,
मैं अपनी जान दे दूँगा ।
जाते जाते मैं तुझको,
अपनी मोहब्बत का ईनाम दे दूँगा ।।

आने वाला कल मेरे,
इस पल को याद करेंगे ।
चाहे तो इससे दुर रहेंगे,
नहीं तो टूट पड़ेंगे ।।

कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 31/01/2021
समय – 04 : 24 ( शाम )
संपर्क – 9065388391

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