ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है
ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है
जीवन से नाता तोड़ रहा है
किस किस को याद करू अब मै
ये सबको पीछे छोड़ रहा है
कितनी बीती सुख की राते
कितने सावन भी तो बीते
आशा की लड़िया तोड़ रहा है
ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है
कितना निर्मम ये जग भी है
सुख देता है तो देता है
दुःख देता है तो देता है
दुःख सुख का दामन छोड़ रहा है
ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है
किसको साथ में लाया था मै
किसको साथ में ले जाऊंगा
केवल कर्मो को जोड़ रहा है
ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है
कवि प्रशान्त सरल
8416833587