ये हुआ है तो फिर हुआ क्यों है
दर्द रह-रह के यूँ उठा क्यों है
दिल में काँटा कोई चुभा क्यों है
मार कर जी रहा है ये खुद को
आदमी खुद से ही खफ़ा क्यों है
मिरे साए से भागता था जो
आज उसने मुझे छुआ क्यों है
आज मसली गयी कली फिर क्यों
सारा गुलशन डरा-डरा क्यों है
अश्क पीती रही ताउम्र अगर
माँ के होठों पे फिर दुआ क्यों है
दाँव पर सब लगा के बैठा हूँ
ज़िन्दगी आज भी जुआ क्यों है
वो हुआ न तो क्यों न हो पाया
ये हुआ है तो फिर हुआ क्यों है