ये स्वार्थी दुनिया.!
मौत तो सभी को इक दिन आनी है !
डर कैसा! मौत तो जानी पहचानी है।
मौत से पहले जीना मत छोड़ो यारों-
ये दुनिया सच्चों को जीने नहीं देती !
ये स्वार्थी दुनिया- बहुत ही सयानी है।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल==
====*उज्जैन*{मध्यप्रदेश}*====
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