ये सभी कहते हैं
मुझे औरों से क्या लेना,
ये सभी लोग कहते हैं
मगर किसी दिन पड़ोसियों के घरों में झगड़ा हों
तो सबसे पहले यही लोग झांकते हैं
जो कहते हैं ना , वहीं हां भी कहते हैं
बस औरों के सामने लम्बी-लम्बी हांकते है
कहने के लिए तो उन लोगों के पास समय नहीं होते।
मगर आंखों के सामने किसी पर अत्याचार हो तो
कुछ ना बोलेंगे
बस चुपचाप तमाशा देखते हैं
अगर गलती से बोलेंगे भी दिए तो यह कह के निकल जाते हैं कि ये मेरा काम नहीं है
बस औरों के सामने महान बनते हैं
कहने के लिए तो वे लोग हरदम बिज़ी रहते हैं
मगर किसी के चरित्र पर कुछ कहवालो
तो सबसे पहले हाथ अपना वहीं उठाते हैं
जैसे किसी क्लास के छात्र हों
बस औरों के सामने डिगें मारते हैं
मगर कहने के लिए कुछ ना कहते हैं
बेचारे साधू-संत हैं अपने रम में रहते हैं
इन्हें औरों से क्या लेना
ये यहीं कहते हैं
शायद ये गांधी बाबा के तीन बन्दर हैं
जो बुरा ना देखते हैं, बुरा ना कहते हैं और कभी बुरा ना
सुनते हैं।।
नीतू साह(हुसेना-बंगरा)सिवान-बिहार