ये सच है
ये सच है….
उलझने होती ही हैं
सुलझने के लिए
इच्छाएँ होती ही हैं
मचलने के लिए ,
सपने होते ही हैं
सच करने के लिए
बेहूदगी होती ही हैं
हद करने के लिए ,
पंतग होती ही हैं
कटने के लिए
गोंद होती ही हैं
सटने के लिए ,
मेहनत होती ही हैं
साकार होने के लिए
कुम्हार होते ही हैं
आकार देने के लिए ,
सबक होते ही हैं
सीख देने के लिए
नासूर होते ही हैं
टीस देने के लिए ,
पंख होते ही हैं
उड़ान भरने के लिए
हिरण होते ही हैं
कुचाल भरने के लिए ,
चालें होती ही हैं
चलने के लिए
खेल होते ही हैं
खेलने के लिए ,
दुश्मन होते ही हैं
वार करने के लिए
तलवार होती ही हैं
धार देने के लिए ,
क़िस्मत होती ही हैं
चमकने के लिए
हुनर होता ही हैं
दमकने के लिए ,
और…………….
प्यार होता ही हैं
किस्सा बनने के लिए
दोस्त होते ही हैं
हिस्सा बनने के लिए !!!
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 20/04/17 )