ये सच है कि सबसे पहले लोग
ये सच है कि सबसे पहले लोग
खुद की उन्नति के लिए सोचते हैं,
पर खुद के लिए जितनी फ़िक्र है
उसमें से थोड़ा सा अंश अगर
औरों के लिए भी निकाल सकें
तो इस दुनियां का स्वरूप
निश्चय ही कुछ और ही होगा…
जो सबके लिए हितकारी होगा!
लोग एक दूसरे के बारे में सोचेंगे,
आपस में फासले कम होंगे,
नजदीकियाॅं बढ़ने लगेंगी…
परस्पर विश्वास भी कायम होगा!
आपसी स्नेह व सौहार्द बढ़ेगा!
सत्य की राह आसान होगी!
वो युग सत्य के करीब होगा!
…. अजित कर्ण ✍️