ये वो सरकार जो देशभक्ति कि पीठ पर है सवार
आईना उल्ट-पलट के देख लो
चाहे जितनी भी बार
सच के दामन से लिपटने के लिए
आँख मिलाना ही पड़ेगा हर एक बार।
बंद आँखों से सच कभी दीखता नहीं
ये वो सय है जो बाज़ार में कभी बिकता नहीं,
आँख होते हुए भी,
ज्युँ गांधारी को कुछ भी दीखता नहीं।
आँख पे गर पट्टी बंधी हो, तो
सुयोधन से दुर्योधन अलग किसी को दीखता नही।
सूत की हो, या हो भक्ति भाव की
सच को देखने के लिए
आँख मिलाना ही पड़ता है, हर एक बार।
साहिबे मुल्क खड़े हैं, लोक तंत्र के बाजार में
एक हांथ में थामे भक्ति कि पट्टी
दूजे में अक्ल का ताला थाम के
लोकतंत्र कि खैरियत से इन्हें कहां दरकार
ये वो सरकार जो देशभक्ति कि पीठ पर सवार है
बंदेमातरम जिसके हाथों का अनोखा हथियार है!
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02-05-2019
…सिद्धार्थ …