*ये वो क्या कर गये*
ये वो क्या कर गये
अपने ही हाथों ख़ुद हाल बेहाल कर गये,,
किसी का न हुआ आज तक वो इश्क करगये।।
हद से गुजर कर उससे चाहत हम कर गये,,
पत्थर से दिल लगाने की भूल हम करगये।।
कीमती वक्त हम अपना बेवजह ही गवाते गये,,
वो बेवफा मेरी दिली भावनाओ से खेलते गये।।
बेमुरादों से उम्मीद बेशुमार हम लगा गये,,
ठोकरे खा कर दिल को तन्हा करते गये।।
मंजिल उन्हें मिलती गई कदम बढ़ा वो गये,,
हम राह के मुसाफिर ही फिर से बन गये।।
हाथ छुड़ाकर हमारे दामन से वो चले गये,,
हम ख़ामोखा बेवजह इन्तेजार में उनके रह गये।।
खुशियों की आगोश में वो सिमटते सो गये,,
हम सोनु याद में उनकी सारी रैना जागते रह गये।।
★सोनु जैन मन्दसौर★