ये वादा तो न किया था !!
साल चौदह में आपने कहा था,
अच्छे दिनों को लाने का वादा किया था,
दो करोड़ नौकरियां हम देंगे,
पंन्द्रह लाख को बैंक खाते में भेजेंगे,
सब का साथ सबका विकास करेंगे,
गुजरात मॉडल को लायेंगे,
भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे।
चीन पाकिस्तान को सबक सिखाना है,
लाल आंख उनको दिखाना है,
एक सिर के बदले में,
दस-दस शीश हम लाना है।
मैं देश ना बिकने दूंगा,
विदेशी कंपनियों को फायदा उठाने न दूंगा,
ना एफ डी आई पर बात करेंगे,
ना हम अपने व्यापारियों को कमजोर करेंगे।
कांग्रेस मुक्त भारत होगा,
भ्रष्टाचार से ना कोई सरोकार होगा,
जीरो टॉलरेंस को अपनाएंगे,
ना खुद खाएंगे,
ना किसी को खाने देंगे।
यही सब कुछ तो कहा था ना आपने,
फिर क्यों वायदा नहीं निभाया आपने,
पहले तो आकर आपने नोटबंदी कर डाली,
हमको काम धाम से हटा कर लाइन लगवा डाली,
बैंकों में अफरातफरी का आलम था,
हर किसी को अपने नोटों का कागज बनने का डर था,
जैसे कैसे तो हमने नोट बदलवाए,
लेकिन बदले में नये नोट नहीं मिल पाए,
अब खर्चे के लिए भी लाईन में लगना पड़ा,
बैंकों में नोटों का था अकाल पड़ा,
दुःख बिमारी से लेकर शादी विवाह तक,
लाईन में लग-लग कर गए थे हम थक,
तब भी हम यही मानकर,
काला धन वापस आएगा जानकर,
चुपचाप यह सह गए,
लेकिन आप तब भी चुप ना रहे,
जी एस टी का जिन्न लेकर आ गये,
रही-सही हम यहां पर भी लुटा गये,
जैसे-कैसे यह पांच साल निकाल लिए,
और जैसे ही चुनाव आ गये,
हम अपने को अभी संभाले भी न थे,
कि तभी कहां से ये आतंकी आ गये,
पुलवामा में हमारे सैनिकों को मार गये,
पुरा देश शोकमग्न हो रहा था,
अब कोई तो बदला लेवे पुकार रहा था,
तभी हमने आपका यह रुप भी देखा,
चुनावों से हटकर बालाकोट करते हुए देखा,
लगा चलो कुछ तो तुमने करके दिखाया,
मन एक बार फिर तुम पर ही आकर ठिठक गया,
और फिर से तुम्हें बागडोर सौंप दी,
यह भूलकर की अन्य बातें तो अधूरी ही रही,
पर अब तुमने खुलकर खेलना शुरू कर दिया है,
देश की परिस्थितियों को बेचना शुरू कर दिया है,
अमीरों पर आपका नजरिया प्यार भरा है,
गरीबों पर तुम्हें तरस नहीं आ रहा है,
सड़कों पर लाखों श्रमिक चल रहे थे,
और आप उनकी ओर आंखें मूंदे हुए थे,
आज बेरोजगारी ने सबको हिला दिया है,
इस ओर भी आपका ध्यान नहीं गया है,
किसानों की हालत भी अच्छी नहीं है,
सिर्फ छह हजार रुपए पर आपकी रहमत हुई है,
मनरेगा को आपने कांग्रेस का खंडर बताया है
गांवों में इस वक्त यही काम आया है,
लेकिन इससे भी कहां तक काम चल पाएगा,
कम मेहनताना भी इसका लोगों को नहीं उबार पायेगा,
वैश्विक महामारी पर भी आप को मुंह की खानी पड़ी,
लौकडाउन की थ्योरी भी कामयाब न रही,
क्योंकि आपने किसी को कभी भरोसे में नहीं लिया,
बस जो अपने मन मस्तिष्क में आया उसे लागू किया,
आज लोगों में निराशा का माहौल है,
किन्तु आपका अंधभक्त मिडिया ,प्रसस्तिगान आपके गा रहा है,
चीन पर आपने देश को गुमराह किया,
बीस सैनिकों की सहादत को भी आपने हल्के में लिया,
फिर भी आप अब भी सब्ज बाग दिखा रहे हैं,
देश को सुखद स्थिति में बता रहे हैं,
विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ रहा है,
देश आत्मनिर्भर बन रहा है,
डीजल पैट्रोल पर आपने खुब कमाई की है,
आम नागरिकों से कभी न इसकी कीमत की बंटाई की है,
आपने जो कहा था, उसे निभाया नहीं है,
सबका साथ,सबका विकास, और सबका विश्वास,
सिर्फ नारा ही रह गया है,
मिल मालिकों का साथ,
अपने अनुयायियों का विकास,
और एक वर्ग विशेष का विश्वास,
यही देखने को मिल रहा है,
माननीय अब तो भरोसा डोल रहा है।।