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22 Jul 2017 · 1 min read

ये वही है जो इश्क़ मे फेमस है

माथे पर मेरे शायद जो ये अब दाग रहे
साँसों की चौखट भी अब न बेदाग रहे,

दिन के उजले में जो रोका बेमानी करते
सायद अब उनके सीने में ये आग रहे,

मन्नत थी कि बेटा हो रोशन कुल कर देगा
बेटी आने से वधू के दामन मे सायद दाग रहे,

पढ़ा लिखाकर ऊंचे पद पर मिली नौकरी
अब सायद उस बाप मे हर पल दाग रहे,

बीते सावन में जेठ दोपहरी किया था उसने
कैसे बीतेगा ये सावन उनको भी याद रहे,

सदियों पहले रूप की देवी छत आई होगी
सब चाँद सितारे रातों मे अब तक जाग रहे,

मुझमे गुरूर क्या कम है इश्क़ में रुसवा होने का
शक्ल देखने की मिन्नत वो अब तक मांग रहे,

खुशियों के दिन मे ऐश किए और मौज़ उड़ाये
दुख की घड़ियों में वो मंदिर मस्जिद भाग रहे,

‘नीर’ सुना ये वही है जो इश्क़ मे फेमस है
पूछो इनसे क्यूँ तेरे पीछे-पीछे अब भाग रहे,
……………………..
निर्मल सिंह ‘नीर’
दिनांक – 19 जुलाई, 2017
समय – 11:50am

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