ये वक्त की धूमल परछाई
ये वक्त की धूमल परछाई
हल्की सी नजर आती है
कभी हाथ मे आती है
कभी छूट जाती है
खुश रहती है वो मेरे साथ
फिर भी न जाने
मुझसे क्यो रूठ जाती है
वो नही है यहा कही
ना जाने कहा से
फिर लौट आती है
** ** ** **
Swami ganganiya