ये रात वो रात नहीं
?
छोड़ दिया चाँद का साथ हमने ये सोचकर..
जो रात का ना हुआ वो हमारा क्या होगा…
उसके बिना एक पल भी जीना मेरा यारा…
इस ज़ालिम जमाने को गंवारा ना होगा…*
मैखाने से भी साकिया ने आवाज़ लगाई…
खुमारें इश्क़ किसी ने उतारा ना होगा….*
जा चाँद छुप जा जाकर माँ के आंचल में…..
हमसे जो छूटा जो इश्क़ दुबारा ना होगा….*
ये रात वो रात नहीं तेरी रात गई बात गई….
तेरी इस रात जैसा कही सितारों में ना होगा….*
अशोक सपड़ा हमदर्द