ये मेरी मोहब्बत का हासिल नही लगती
ये मेरी मोहब्बत का हासिल नहीं लगती
जिन आंखों में भूख चमकती है वो मुझे कातिल नहीं लगती
मेरी मर्जी भी शामिल थी तेरी सरकार बनाने में
मगर तेरी योजनाएं मेरे बेहतरी के काबिल नहीं लगती
ये जो तू बांट रहा है खुशियां सबको गिन-गिन कर
मेरी खुशियां शायद तेरी झोली में शामिल नहीं लगती
जिसे देखिए गमगीन बैठा है अपना अपना शेर लेकर
मुझे तो ये शगुफ्ता लोगों की महफ़िल नही लगती
जहां तक पहुंचाने का ख्वाब दिखाया था तनहा तुमने
हमको तो ये हमारी वो मंजिल नही लगती