ये मत सोचो रुक जाऊंगा:-मोहित मुक्त
ये मत सोचो रुक जाऊंगा।
बेताब लहर के धक्कों से –
नौका चूर हो जाएगी,
नियति की वक्र नजर मुझपर –
माना की क्रूर हो जाएगी ,
तूफां हठ ठान भले ही ले-
कर ले चाहे लाख जतन ,
जीवन यज्ञ आहुति में –
हो जाये मेरा सर्वस्व हवन,
पर जबतक धड़कन जिन्दा है-
ये मत सोचो झुक जाऊंगा।
ये मत सोचो रुक जाऊंगा।
ये मत सोचो रुक जाऊंगा।
पग-पग पर शूल मिलें चाहे-
राहों में तप्त अंगारे हों।
पावों में छाले पड़ जाएं या-
रोम-रोम प्यास के मारे हों।
मार्ग कठिन कितना कर लें –
मंजिल के जो हैं प्रहरी।
भाग्य रेखाएं भी रच लें –
खिलाफत में साजिश गहरी ,
पर जबतक साँस चुकी ना हो-
ये मत सोचो चूक जाऊंगा।
ये मत सोचो रुक जाऊंगा।
ये मत सोचो रुक जाऊंगा।
जो सपने मैने पाल लिए-
अंतर-मन की आँखों में ,
भर हौसला उड़ चला जो-
बाजु की दो पाँखो में ,
तब मत सोचो थककर के-
पथ छोड़ अधूरा आउंगा,
या तो मंजिल मिल जाएगी-
या मृत्यु को गले लगाउंगा ,
यह मन में शंका मत पालो-
मैं नत होकर झुक जाऊंगा।
ये मत सोचो रुक जाऊंगा।
ये मत सोचो रुक जाऊंगा।