बारिश की बूंदों ने।
बारिश की बूंदों ने फिर उसकी याद दिलाई है।
इश्क के नाम पर जिसने हमसे की बेवफाई है।।1।।
इक पल सनम ना दिखे मन बेचैन हो जाता है।
दिलों को बड़ा ही सताती मुहब्बत में जुदाई है।।2।।
मजदूर है मजदूरो की होती कितनी कमाई है।
देखी ना जाती अब हमसे यूं बढ़ती महगांई है।।3।।
अगर इश्क की अगन लग जाए जो किसी को।
पूरी पूरी रात नज़रों में फिर नींद कहां आती है।।4।।
हर तरफ खूं ही खूँ है कैसा आया ये तूफान है।
कोई ना कहरे खुदा है ये मजहब की लड़ाई है।।5।।
घर की लड़ाई मत सरे राह ला वास्ते खुदा के।
मदद को कोई ना आएगा ये भीड़ तमाशाई है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ