ये बच्चियां
वो बच्ची भाई को गोद मे ले
लोरी गाती है जब तुतलाती सी
तो माँ लगती है।
उठा झाड़ू नन्हे नन्हे हाथों में
बुहारने लगती है जब आँगन
तो माँ लगती है।
थके मांदे पिता के माथे को
सहलाने लगती है प्यार से
तो माँ लगती है।
बैठ जाती है स्कूटर पर पीछे
नन्हें भाई को हाथों में थामे।
ब्रेक लगने पर डर कर
लगा लेती है सीने से
तो माँ हो जाती है।
ढेर सारा ममत्व समेटे
अपने नन्हें नन्हे हाथों, आंखों
और दिल में
जाने कैसे ये नन्ही नन्ही बच्चियां
बन जाती है स्त्रियां
बचपन मे ही !
** धीरजा शर्मा**