ये परचम जो थमाया है, उसे झुकने नही देंगे ।
जो परचम ये थमाया है, उसे झुकने नही देगें।
लगी जो आग सीने में, उसे बुझने नहों देगें।
ये छलिये देश को छलकर कहां जायेंगे बचकर के ।
जो वापस देश में आये, इन्हे जीने नही देगें।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, सीतापुर