ये दो आँखें….
किसी को पाने का प्रयास है ये दो आँखें
किसी के होने का अहसास हैं ये दो आँखें
हैं जितनी दूर ,उतनी पास हैं ये दो आँखें
नज़र भर देखने की आस हैं ये दो आँखें
कहीं प्रणय मिलन का रास हैं ये दो आँखें
किसी से ले चुकी वनवास हैं ये दो आँखें
बयां करती हैं राजे-दिल बड़ी खामोशी से
मगर हमराज़ बहुत खास हैं ये दो आँखें
हैं धोखेबाज़ फरेबी किसी की नज़रों में
किसी “मासूम” का विश्वास हैं ये दो आँखें
मोनिका “मासूम”