ये दुनिया
ये दुनिया भी एक दरिया है
किनारे सुख और दुख के हैं
जरूरत सुख और दुख की उतनी ही
जितनी दरिया को किनारों की
किनारा ढह तो सकता है
किनारा मिट नहीं सकता
गर किनारा मिट गया तो
दरिया, दरिया रह नहीं सकती
बिना दुख के गर्
खुशी का भंडार मिल जाए
फिर कहो कैसे कोई खुशी का
इजहार कर पाए
खुशी हंसती हंसाती है
तो दुख रोता रुलाता है
बढ़ा चल नेक राहों पर
ये तो चलता चलाता है