ये दुनिया तो रैन बसेरा
ये दुनिया तो रैन बसेरा,पलक झपकते जायेगा।
मुट्ठी बंद यहां आया है, हाथ खोलते जायेगा।।
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क्या लाया था क्या ले जाये
जीवन एक पहेली है।
उलझी-उलझी रही जिंदगी,
माया बनी सहेली है।।
माया के इस चक्रव्यूह में,स्वंय डोलते जायेगा।
मुट्ठी बंद यहां आया है, हाथ खोलते जायेगा।।
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खोस-खोसकर किया इकट्ठा
माल यहां जो जीवन भर।
छूट जायेगा क्षण में सारा,
मोह करे जिससे पल हर।।
आंगन बगिया गाड़ी बंगला,सभी छोड़ते जायेगा।
मुट्ठी बंद यहां आया है, हाथ खोलते जायेगा।।
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रिश्ते- नाते दुनिया दारी,
नहिं कोई स्थायी है।
दादा- दादी, नाना- नानी
ने यह बात बताई है।।
शाश्वत सत्य मृत्यु है केवल,यह बताते जायेगा।
मुट्ठी बंद यहां आया है, हाथ खोलते जायेगा।।
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🙏अटल मुरादाबादी 🙏
९६५०२९११०८