ये दस्तूरे दुनिया
लगा अजनबी सा नई बात है क्या
न पहले है देखा नई बात है क्या
ख़ुदा हो गये हैं ये ज़रदार सारे
बहुत पास पैसा नई बात है क्या
जो है उसको जाना जो आया गया है
ये दस्तूरे दुनिया नई बात है क्या
न चाँदी न सोने से भरता शिकम है
भरेगा निवाला नई बात है क्या
चले आए हैं जन्मदिन पर हमारे
वो लाए हैं तोहफ़ा नई बात है क्या
ये जीवन उसी का ये दुनिया उसी की
वही एक सबका नई बात है क्या
न पूछे ज़माना उन्हें जो हैं क़ाबिल
मिला है न तमगा नई बात है क्या
ग़रीबों का जीना है दुश्वार ‘आनन्द’
अमीरी में जीना नई बात है क्या
~ डॉ आनन्द किशोर