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12 Jul 2017 · 1 min read

ये दरिया गम का कम गहरा नहीं था

ये दरिया गम का कम गहरा नहीं था
हमें फिर भी डुबो पाया नहीं था

नहीं आसान था जीना यहां पर
मगर आसान भी मरना नहीं था

मिला वो दर्द दिल को जिसका कोई
दवा से ही कभी नाता नहीं था

दुबारा वक़्त आएगा नहीं वो
कभी उस वक़्त ये सोचा नहीं था

किया जब प्यार तो जाना है इसको
किताबों से समझ आया नहीं था

सुनाया गीत वो इन धड़कनों ने
छिपा दिल जो कभी पाया नहीं था

रहे खामोश खुद ही लब हमारे
लगाया ‘अर्चना’ ताला नहीं था
डॉ अर्चना गुप्ता
12-07-2017

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