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19 Feb 2022 · 1 min read

ये दरारें .,.

ये दरारें ये सिलवटें जो जबीं पे पड़ी हैं
भँवर में सफ़ीना लहरें विकराल बड़ीं हैं
तेरे ज़द पे हूँ मैं ज़िंदगी खबर है मुझे
तौफ़ीक़ बदलेगी तक़दीर ज़िद पे अड़ी हैं

बहारों का रूख भी बदल कर रहेगी
तेरी तलब जाना तुम बिन न बुझेगी
मुझसा मुंतज़िर न होगा ज़माने में
दिल शाद कर मयस्सर तू होकर रहेगी

ज़द-निशाना
जबीं-मस्तक
तौफ़ीक़-हौसला
शाद -खुश
मयस्सर-प्राप्त
तलब-खोज,प्राप्त करने की इच्छा
मुंतज़िर-इंतेज़ार करने वाला।

Language: Hindi
207 Views

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