रंग तिरंगे के सभी , देते हैं आवाज ।
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
“ गोलू का जन्म दिन “ ( व्यंग )
रोटियों से भी लड़ी गयी आज़ादी की जंग
Don't lose a guy that asks for nothing but loyalty, honesty,
संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं
रोटी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
दिवाली है दीपों का पर्व ,
शकुन सतसई ( दोहा संग्रह) समीक्षा
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है