*ये तेरी जुल्फ उठा दूं *
ये तेरी ज़ुल्फ़ उठा दूं तो शर्मसार हो जाये तूं
ये तेरी ज़ुल्फ़ उठा दूं तो ओठ दांतो से दबाये तूं
घनघोर घटा तेरे गेसुओँ की छायी पर्दा बन
ये तेरी ज़ुल्फ़ उठा दूं तो शर्म से ना मर जाये तूं।।
?मधुप बैरागी