ये ताकत जो बक्सी तुझे कुदरत ने , नशे में न झोंको उबर जाओ भाई
एक ग़ज़ल
चले हम इधर तुम उधर जाओ भाई ।
चले हम घर तुम भी घर जाओ भाई।
जो कहना हमें था सभी आदमी से,
जिसे है सुधरना सुधर जाओ भाई ।
ये जीवन नशे प गंवाओ न कोई ,
है कष्टदाई तुम डर जाओ भाई।
कोई बात ना है अगर ना सुनो तो,
अच्छा नही पी के मर जाओ भाई।
आँखों में आंसू घरों के तो देखो,
कुछ हो तुम्हे न सम्हर जाओ भाई ।
ये ताकत जो बख्सी तुझे कुदरत ने ,
नशे में न झोंको उबर जाओ भाई।
मिली किस्मतों से जो तिनके घरों के ,
सम्हालो उसे न बिखर जाओ भाई ।
ये बच्चे दुलारे प्यारी सी पत्नी
इन्हे प्यार दे कर तर जाओ भाई।
हो प्यारा सफर जिंदगी का तुम्हारा,
शुभकामना है संवर जाओ भाई।
प्यासा ✍️विजय कुमार पाण्डेय ‘प्यासा’✍️