ये जीवन किसी का भी,
ये जीवन किसी का भी,
बस चंद पलों का मेहमान होता है ।
फिर भी किसी – किसी को, ना जाने क्यों,
खुद पर बहुत ज्यादा अभिमान होता है ।।
शाखाएँ टूट जाती है,
जड़ से उखड़ जाती है ।
उन बड़े – बड़े वृक्षों की भी,
जब थोड़े हवा के झोकों में ।।
तो सोचो, गर आँधी और सुनामी आ जाये,
या फिर ज्वालामुखी फट जाए ।
तो क्या बचेगा तुम्हारे और हमारे,
अपने इस जीवन में ।।