Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2022 · 2 min read

ये जिंदगी एक उलझी पहेली

ये जिंदगी एक उलझी पहेली्
कभी संगदिल कभी है सहेली
ये जिंदगी एक उलझी पहेली
कुछ भी करो पर सुलझती नहीं है
जितनी भी समझो उलझती रही है
किसी की चिता बन जाए पल में
किसी का ये दामन वर्षों ना छोड़े
कहीं पर हंसी कहीं आंसू बनी है
कहीं जुस्तजू कहीं आरज़ू बनी है
दे जाए खुशियां कहीं पर हजारों
कहीं गम से रिश्ता ये ना टूटने दे
किसी का फसाना किसी की ग़ज़ल है
कहीं सेज कांटों की कहीं पर कंवल है
कोई जी रहा है अपनी ही मय में
किसी के लिए जिंदगी गम भरी है
कोई ख्वाब लेता है इस जिंदगी के
तो कोई कोसता है इस जिंदगी को
आशा बनी कहीं निराशा बनी है
कहीं रोशनी कहीं अंधेरा बनी है
बचपन की यादों का झरोखा है या
ढलती उम्र का तकाजा है जिंदगी
ना समझे तो कुछ भी नहीं है लेकिन
सोचे तो सागर से गहरी है जिंदगी
इस जिंदगी के रूप है क्या क्या
कैसे कोई पहचान करें अब
कहीं फूल कहीं धूल बनी है
इस जिंदगी को ना अपनी समझना
घड़ी दो घड़ी की मेहमान है जिंदगी
कहीं पे ये डोली कहीं है जनाजा
कहीं सुबह कहीं श्याम है जिंदगी
या फिर है जैसे नदिया की धारा
सुख और दुख जैसे इसके किनारे
इस जिंदगी का भरोसा भी क्या है
हंसते को पल में रुला दे जिंदगी
रोते को पल में हंसा दे जिंदगी
ढूंढा बहुत पर कहां है जिंदगी
सोचा बहुत पर क्या है जिंदगी
नशा ऐसा जैसे शराब हो कोई
बगिया का जैसे गुलाब हो कोई
जैसे पथिक की प्यास है जिंदगी
कोई खुबसूरत अहसास है जिंदगी
कहने को बहुत कुछ है ये लेकिन
सोचे तो फिर है ये कोई पहेली
‘विनोद’जिंदगी एक उलझी पहेली
कभी संगदिल है कभी है सहेली

धन्यवाद्
(विनोद चौहान)
(12/03/1999 की शब्दरचना)

Language: Hindi
3 Likes · 647 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VINOD CHAUHAN
View all
You may also like:
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
Ranjeet kumar patre
प्रार्थना के स्वर
प्रार्थना के स्वर
Suryakant Dwivedi
बुंदेली दोहे- ततइया (बर्र)
बुंदेली दोहे- ततइया (बर्र)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
माॅर्डन आशिक
माॅर्डन आशिक
Kanchan Khanna
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पार्टी से कही बड़ा होता है एक
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पार्टी से कही बड़ा होता है एक
Rj Anand Prajapati
धर्म निरपेक्षी गिद्ध
धर्म निरपेक्षी गिद्ध
AJAY AMITABH SUMAN
क्यों सिसकियों में आवाज को
क्यों सिसकियों में आवाज को
Sunil Maheshwari
वो आरज़ू वो इशारे कहाॅं समझते हैं
वो आरज़ू वो इशारे कहाॅं समझते हैं
Monika Arora
बहुत याद आता है
बहुत याद आता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
कृष्णकांत गुर्जर
चौराहे पर....!
चौराहे पर....!
VEDANTA PATEL
-  मिलकर उससे
- मिलकर उससे
Seema gupta,Alwar
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
कोई गुरबत
कोई गुरबत
Dr fauzia Naseem shad
🌹🌹 झाॅंसी की वीरांगना
🌹🌹 झाॅंसी की वीरांगना
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
Shweta Soni
मोहब्बत ना सही तू नफ़रत ही जताया कर
मोहब्बत ना सही तू नफ़रत ही जताया कर
Gouri tiwari
पवित्र श्रावण माह के तृतीय सोमवार की हार्दिक बधाई। कल्याणकार
पवित्र श्रावण माह के तृतीय सोमवार की हार्दिक बधाई। कल्याणकार
*प्रणय*
AE888 là nhà cái uy tín hàng đầu cho cược thể thao, casino t
AE888 là nhà cái uy tín hàng đầu cho cược thể thao, casino t
AE888
श्रीराम गाथा
श्रीराम गाथा
मनोज कर्ण
" शिक्षक "
Dr. Kishan tandon kranti
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
आर.एस. 'प्रीतम'
आज कल परिवार में  छोटी छोटी बातों को अपने भ्रतिक बुद्धि और अ
आज कल परिवार में छोटी छोटी बातों को अपने भ्रतिक बुद्धि और अ
पूर्वार्थ
बदल गया परिवार की,
बदल गया परिवार की,
sushil sarna
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित
Ravikesh Jha
*जानो आँखों से जरा ,किसका मुखड़ा कौन (कुंडलिया)*
*जानो आँखों से जरा ,किसका मुखड़ा कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
4474.*पूर्णिका*
4474.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मन की गाँठें
मन की गाँठें
Shubham Anand Manmeet
ग़ज़ल _ दिल मचलता रहा है धड़कन से !
ग़ज़ल _ दिल मचलता रहा है धड़कन से !
Neelofar Khan
स्नेह से
स्नेह से
surenderpal vaidya
Loading...