ये ज़ीस्त अकेले ही तो हमने है गुज़ारी
ये ज़ीस्त अकेले ही तो हमने है गुज़ारी
किस्मत में किसी और के थी राजकुमारी
तस्वीर-ए-तसव्वुर दिल-ए-नादाँ ने बनाई
हासिल करें उसको न थी औक़ात हमारी
मेहनत में कमी हमने ज़रा भी नहीं बर्ती
तक़दीर से हारी हुई थी ज़ीस्त बेचारी
ऐ मौत अगर मारना है मार दे जल्दी
आदत नहीं हमको कि रखे कोई उधारी
– जॉनी अहमद ‘क़ैस’