ये जब नींद में होते हैं
एक बार एक युवा दंपत्ति मुझसे परामर्श लेने आये , उसकी पत्नी को अपने पति से तमाम शिकायतें थीं जिसकी वजह से उसका जीवन दुखी था । उसकी बातों से मुझे ऐसा लगा कि वह अपने पति से बहुत असन्तुष्ट है। उसकी बातें सुनकर मैंने उससे कहा कि जब आपके शौहर इतने खराब है तो आप इनसे मोहब्बत से क्यों पेश आती हैं , आप भी इनके साथ झगड़ा करो और घर में इनका जीना मुश्किल कर दो ।
मेरी यह बात सुनकर वह लजा गई और शरमाते हुए उसने मुझे बताया
‘ डॉक्टर साहब , बात दरअसल यह है कि जब ये मेरे हाफ़िज़ जी नींद में होते हैं और मैं इन्हें तंग करती हूं तब यह नींद में ही मुझसे गाली गलौज करने लगते हैं । अब भला ऐसे में शौहर के द्वारा नींद में कही किसी बात का कोई बुरा थोड़ी मानता है । अच्छा आप ही बताइए ?
मेरे देखने में उस कम पढ़ी लिखी महिला की समझदारी से भरी बात सुनकर मैं हतप्रभ था । मैंने उसकी समझदारी की प्रशंसा करते हुए उसे कुछ दवाएं लिख दी और वह मेरा पर्चा लेकर मुस्कुराती , शर्माती हुई मेरे कक्ष से बाहर चली गई।
कितना आसान होता कि यदि लोग उसकी कही हुई बात को अपने जीवन में अपनाते हुए किसी मनमुटाव वाली बात को नींद में कही बात समझ कर उसी सहजता से भुला देने देने की सामर्थ जुटा पाते ।