ये चुनाव , हम और वो
प्रथम पक्ष-
ये चुनाव हमसे क्या ले जाते हैं-
मत ,अभिमत
चैन,शकुन
रिश्तों में खटास
सम्बन्धों में दरार,
आस-पास कि शान्ति,
और मिठास,
जाने क्या क्या ले जाते हैं।
द्वितीय पक्ष-
ये चुनाव हमे क्या दे जाते हैं
महंगाई
भाई-भतिजा वाद,
मतभेद से लेकर,क्षेत्रवाद,
मन भेद के साथ अविश्वास
जाने क्या क्या जख्म दे जाते हैं।
तृतीय पक्ष-
ये चुनाव हमें लोकतंत्र में जीने की देते हैं आजादी,
लोकतंत्र मे ही हमें है कहने की आजादी,
स्वछन्द होकर रहने की आजादी,
चरित्र,से हटकर,अनैतिक होने की आजादी,
झूठ -फरेब करके ठगने की आजादी,
जात पांत पर बंटने की आजादी,
धर्म के नाम पर झगडने की आजादी,
अमीर-गरीब में लडने की आजादी,
यह सब मिलता है हमें लोकतंत्र में
हम आदि हो गये हैं जीने को लोकतंत्र में
हम अधिकार पाने कि रखते हैं अभिलाषा,
अनुशासन मे रहना हमें नही आता,
चरित्र,व नैतिकता से नहीं कोई नाता,
येन केन प्रक्रेन हमे चुनाव ही है भाता,
देते हैं हम मत अपना, बनके मतदाता,
हाँ, हम तो हैं जहां के तहां,और वह बन गये हैं
भाग्यविधाता।