ये चांद सा महबूब और,
ये चांद सा महबूब और,
तारों जैसी मौहब्बत,
वो टूटकर चाहना और,
ताउम्र किसी एक शख्स का मुरीद रहना,
ये सब अफवाह है ,
इससे ज्यादा कुछ भी नही..!
-शेखर सिंह
ये चांद सा महबूब और,
तारों जैसी मौहब्बत,
वो टूटकर चाहना और,
ताउम्र किसी एक शख्स का मुरीद रहना,
ये सब अफवाह है ,
इससे ज्यादा कुछ भी नही..!
-शेखर सिंह