ये गरीबी गुनाह कराती है।
ये गरीबी गुनाह कराती है।
लोगों को शैतान बनाती है।।1।।
ज़िंदगी फांकों में काटी है।
कोई दुआ ना काम आई है।।2।।
अम्मा जो खाना बनाती है।
उसमे लज़्ज़त आ जाती है।।3।।
अश्क की जुदा निशानी है।
कभी ये मोती कभी पानी है।।4।।
हर इंसा को मिली खुदाई है।
खुदा ने सब की मां बनाई है।।5।।
बरोज महसर क्या करेगा।
जहां दौलत ना काम आनी है।।6।।
आओ चले खुदा के दर पे।
सब को शिफा मिल जानी है।।7।।
मिले यह कम पड़ जाती है।
दौलत है जी ना भर पाती है।।8।।
मां की मोहब्बत को देखके।
सबकी ही आंख भर आती है।।9।।
शिकवा नहीं कोई खुदा से।
मेरी मां हर कमी पर भारी है।।10।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ