ये गजल नही मेरा प्यार है
ये गजल जो मैं लिख रहा हु, ये गजल नही मेरा प्यार है
समझ लेना यूं ही नही, ये दिल रहता बेकरार है।
पल – पल तेरे इंतज़ार में, कट रही है जिन्दगी
हाल चाल तो मेरा, पूछ लिया करो कभी
अंजान हु आशिक तेरा जनता संसार है।
समझ लेना यूं ही नहीं….
ढूंढता फिरता हु तुमको, दिल मेरा लगता नही
देख कर रफ्तार दिल का, दिल मेरा भरता नही
कुछ भी नही फिर क्यों छाया, तेरे इश्क का खुमार है
समझ लेना यूं ही नहीं……
✍️ बसंत भगवान राय