हर तरफ खामोशी क्यों है
दिल हैरान है हर तरफ खामोशी क्यों है
लोग सहमें और चेहरों पर उदासी क्यों है——दिल
बुझे-बुझे से लगते हैं खयालात सबके
मेरे जैसे ही क्यों लगते हैं हालात सबके
जाने क्यों यह विरान सी मायूसी क्यों है——दिल
क्या बताऊॅ॑ किसी को मैं व्यथा जमाने की
लोग भूले बैठे हैं क्यों अदा वह मुस्कुराने की
वह खुद ही नहीं जानते हैं यह उदासी क्यों है—-दिल
न वो जज्बा न हौसला न वो उमंग है कहीं
कुछ कर गुजरने के दिल में ना तरंग है कहीं
हर चेहरे पर देखिए रात सी उदासी क्यों है—-दिल
महफिले सजाते हैं चाहे खुशी हो या गमी
ना तो नजरों में हया है न इन आंखों में नमी
पूछने वाला ही नहीं है यह अय्याशी क्यों है—-दिल
‘V9द’ पूछता है मुझको जरा बता दे कोई
प्यार अपनापन झूठा ही सही जता दे कोई
अपनों में रहकर हर नजर प्रवासी क्यों है—-दिल