ये क्या नज़ारा मैंने दिनभर देखा?
मैंने हर तरफ एक ही मंजर देखा
भाई भाई के हाथ में खंजर देखा।
कहीं दिलों में दीवारे और कहीं बिखरा हुआ घर देखा
दूर तक रेगिस्तान और सूखा हुआ समंदर देखा।
घायल था कोई बुरी तरह, किसी का कटा हुआ सर देखा
कहीं से आ रही थी रोने की आवाज, कोई सोता बेखबर देखा।
छलनी था सीना किसी भाई का,
किसी बहन बेटी का आंचल तरबतर देखा।
सोया न गया फिर उस रात मुझसे,
कि ये क्या मैंने दिनभर देखा
न जाने क्यों मैंने ये नजारा आंखभर देखा।