ये कैसी आजादी है?
अरे ये कैसी आजादी है?
शादीशुदा होकर भी,
मांग में ना सिंदूर लगाती हो।
गले में ना मंगलसूत्र पहनती हो,
जींस टॉप पहनकर ऑफिस करने जाती हो।।
हां, तो क्या हुआ?
शादीशुदा का मतलब यह थोड़ी भी है,
कि मांग में सिंदूर लगाना ही है।
गले में मंगलसूत्र पहनना ही है,
साड़ी पहनकर दिखाना ही है।।
अरे क्या बात करती हो?
जब तुम शादीशुदा हो,
तो मांग में सिंदूर लगाने में क्या दिक्कत है?
गले में मंगलसूत्र पहनने में क्या दिक्कत है?
साड़ियां नहीं पहन सकती तो सलवार सूट पहनने में क्या दिक्कत है?
अरे क्या बात करते हो?
ऐसे तो तुम भी शादीशुदा नहीं लगते हो,
कोई पहचान नहीं लपेटते हो।
तब तो हम तुम्हें नहीं टोकते है,
तो फिर तुम हमें क्यों टोकते हो?
वो… तो ये बात है,
अच्छा तो एक बात बताओ,
ऐसी कोई लड़की मुझे छेड़ सकती है।
कुंवारा समझकर लाइन दे सकती है,
किसी होटल में चाय पर बुला सकती है।।
नहीं ना, तो फिर…
अरे रहने दो – रहने दो,
मुझे सब लोग जानता है कि मैं शादीशुदा हूं।
अरे तो जब सब कोई जानता है।
कि तुम शादीशुदा हो,
तो मांग में सिंदूर लगाने में क्या जाता है?
गले में मंगलसूत्र पहनने में क्या जाता है?
साड़ी नहीं तो सलवार सूट पहनने में क्या जाता है?
अरे तो ऐसा थोड़ी भी है,
कि लड़के केवल कुंवारी लड़कियों को ही लाइन दे सकते हैं,
वह तो शादीशुदा वाले औरतों को भी लाइन दे सकते हैं।
तुम्हें मालूम है लड़के कब किसी को लाइन देते हैं,
जब आगे से कोई उन्हें हिंट देते हैं।।
तो यह क्या है?
यह भी तो एक तरह का हिंट ही है,
ना मांग में सिंदूर।
ना गले में मंगलसूत्र,
ना साड़ी, सलवार सूट।।
अब जब आग लगी है तो धुआ तो उठबे करेगी।
बात पति की है तो मायके तक तो जइबे करेगी।।
हेलो, अरे मेरी मां…
यहां कुछ भी सही नहीं है,
यहां किसी तरह की फ्रीडम नहीं है।
घुट – घुट के जीना सही नहीं है,
बताओ अब तुम ही हम क्या करें?
अपनी फ्रीडम को उनके सामने कैसे बयां करें?
अरे मेरी बेटी रोना नहीं,
अपनी हौसला खोना नहीं।
बता दो उन्हें तुम्हारी जीवन है जैसे चाहोगी वैसे जीयोगी,
अपनी फ्रीडम को घुट – घुट के नहीं पियोगी।।
क्या पता तुम्हें उनसे कोई अच्छा जवान मिल जाए,
हमारे लिए एक नया मेहमान मिल जाए।।।
अरे मां यह तुम क्या कह रही हो?
हां, बेटी मैं सही कह रही हूं,
अब तुम्हें कैसी आजादी चाहिए?
जहां नई नवेली दुल्हन घर के चार दिवारीयों में बंद रहती है,
वहां तुम्हें घर से बाहर जाने के लिए कोई पाबंदी नहीं रहती है।
वही तुम अपनी फ्रीडम के नाम पर अपनी पहचान मिटा रही है,
पति के सही रास्ते दिखाने पर उल्टा उन्हीं पे दोष लगा रही है।।
अरे तुम्हें क्या मालूम?
एक शादीशुदा औरत के लिए सिंगार कितना मायने रखता है,
सिंदूर, बिन्दी, मंगलसूत्र से कितना सुंदर चेहरा झलकता है।
अरे सिंगार ही तो औरत की असली गहना गुरिया होती है,
उसमें से मंगलसूत्र पांच सुहागनों की एक पुड़िया होती है।।
अब पत्नी अपनी हार मानी,
सिंगार को अपनी पहचान मानी।
सिंदूर, बिन्दी, मंगलसूत्र लगाकर,
कैसी लग रही हूं बोली पति से आकर।
—————०००————–
@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।