ये कैसी आजादी है
वस्त्र विदेशी तन को ढँकते कूड़ेदान में खादी है
तुम्हीं बताओ मुझको बापू ये कैसी आजादी है
अन्न उगाने वालों के घर मौत भूख से होती है
दशा देखकर झोपड़ियों की भारत माता रोती है
है जिनका ईमान सुरक्षित पीछे पड़े सलाखों के
रोते-रोते सूख चुके हैं आँसू कितनी आँखों के
बीते कितने बरस मगर भूखी आधी आबादी है
तुम्हीं बताओ मुझको बापू ये कैसी आजादी है
जन प्रतिनिधि संसद की कुर्सी पर ही चैन से सोते हैं
नहीं पूँछते सुनते कुछ भी वक्त़ कीमती खोते हैं
जस की तस है अभी समस्या जान फँसी है साँसत में
गुण्डे और मवाली आ गए देखो आज सियासत में
लाल बत्तियों वाली गाड़ी में बैठा अपराधी है
तुम्हीं बताओ मुझको बापू ये कैसी आजादी है
भ्रष्टाचार के दलदल में सब फँसे हुए अधिकारी हैं
खाकी वर्दी वाला भी अब तो गुण्डा सरकारी है
बोतल बोटी और जिस्म के चक्कर में सब झूल गए
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु और आजाद को भूल गए
होती है सुनवाई उसी की जिसकी जेब में गाँधी है
तुम्ही बताओ मुझको बापू ये कैसी आजादी है
आओ लाठी लेकर होंठ तुम्हारे भी सिल जायेंगे
छोटे बच्चे ढाबों पर बर्तन धोते मिल जायेंगे
खुश होता है आज आदमी अपने किए गुनाहों पर
होती है नीलाम आबरू सड़कों पर चौराहों पर
न्याय की आशा में दशकों से वादी है प्रतिवादी है
तुम्हीं बताओ मुझको बापू ये कैसी आजादी है