Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Sep 2020 · 2 min read

ये कैसा श्रद्धाभाव

ये कैसा श्रद्धाभाव?
************
इस समय पितृ पक्ष चल रहा है।हर ओर तर्पण श्राद्ध की गूँज है।अचानक मेरे मन में एक सत्य घटना घूम गई।
रमन(काल्पनिक नाम)ने कुछ समय पहले मुझसे एक सत्य घटना का जिक्र किया था। रमन के घर से थोड़ी ही दूर एक मध्यम वर्गीय परिवार रहता था।बाप रिटायर हो चुका था।दो बेटे एक ही मकान के अलग अलग हिस्सों में अपने परिवार के साथ रहते थे।पिता छोटे बेटे के साथ रहते थे।क्योंकि बड़ा बेटा शराबी था।देखने में सब कुछ सामान्य दिखता था। दोनों भाईयों में बोलचाल तक बंद थी।
अचानक एक दिन पिताजी मोहल्ले में अपने पड़ोसी से अपनी करूण कहानी कहने लगे।
हुआ यूँ कि दोनों बेटों ने उनके जीवित रहते हुए ही उनका फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर एक दूसरा मकान, जो पिताजी ने नौकरी के दौरान लिया था,उसे अपने नाम कराने की साजिश लेखपाल से मिलकर रच डाली।
संयोग ही था कि पिता को पता चल गया और उनकी साजिश नाकाम हो गई।
धीरे धीर बात पूरे मोहल्ले में फैल गई लोग आश्चर्य से एक दूसरे से यही कह रहे थे कि आखिर इन दोनों को ऐसा करने कि जरूरत क्या थी?
आखिर सच भी खुल ही गया कि वे दोनों ही उस मकान को बेंचना चाहते थे।लेकिन समझ में ये नहीं आ रहा था कि आखिरकार पिता की सारी सम्पति के वारिस तो ये दोनों ही थे।
विश्वास करना कठिन लगता है,परंतु सच इसलिए करना होगा कि सब कुछ रमन स्वयं देख चुका था ।यही नहीं जब इनके पिताजी नहीं रहे तो मृत्यु वाले दिन रात भर उनकी लाश बाहर लावारिस की तरह पड़ी थी,जिसकी रखवाली खुद रमन ने अपने एक मित्र के साथ भोर तक की,क्योंकि सुपुत्र महोदय सपरिवार सोने के लिए अंदर हो गए और चैनल भी बंद कर लिया।भोर में जब लोग आने लगे तब रमन और उनका मित्र अपने घर गये।
शायद इसीलिए कहा जाता है कि विनाश काले विपरीत बुद्धि।
कहानी सुनाने कहने का मेरा मतलब सिर्फ इतना भर है कि विचार कीजिए कि ऐसी औलादों के द्वारा किया गया श्राद्ध तर्पण तीर्थ आदि पुरखों को कितना भाता होगा?
©सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 262 Views

You may also like these posts

ले चल पार
ले चल पार
Sarla Mehta
यू तो नजरे बिछा दी है मैंने मुहब्बत की राह पर
यू तो नजरे बिछा दी है मैंने मुहब्बत की राह पर
shabina. Naaz
मन में एक खयाल बसा है
मन में एक खयाल बसा है
Rekha khichi
मेरी जिन्दगी के दस्तावेज
मेरी जिन्दगी के दस्तावेज
Saraswati Bajpai
संशोधन
संशोधन
Jyoti Pathak
तभी होगी असल होली
तभी होगी असल होली
Dr Archana Gupta
नर्गिस
नर्गिस
आशा शैली
संघर्षों को लिखने में वक्त लगता है
संघर्षों को लिखने में वक्त लगता है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
3288.*पूर्णिका*
3288.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिल का दर्द💔🥺
दिल का दर्द💔🥺
$úDhÁ MãÚ₹Yá
क्रेडिट कार्ड
क्रेडिट कार्ड
Sandeep Pande
*आदर्श कॉलोनी की रामलीला*
*आदर्श कॉलोनी की रामलीला*
Ravi Prakash
"मदिरा"
Dr. Kishan tandon kranti
পছন্দের ঘাটশিলা স্টেশন
পছন্দের ঘাটশিলা স্টেশন
Arghyadeep Chakraborty
जनसंख्या का भार
जनसंख्या का भार
Vishnu Prasad 'panchotiya'
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
कृष्ण भक्ति में मैं तो हो गई लीन...
कृष्ण भक्ति में मैं तो हो गई लीन...
Jyoti Khari
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पेंसिल हो या पेन‌ लिखने का सच हैं।
पेंसिल हो या पेन‌ लिखने का सच हैं।
Neeraj Agarwal
പക്വത.
പക്വത.
Heera S
"मैं सोच रहा था कि तुम्हें पाकर खुश हूं_
Rajesh vyas
कभी हमारे शहर आओ तो मिल लिया करो
कभी हमारे शहर आओ तो मिल लिया करो
PRATIK JANGID
भूलभूलैया
भूलभूलैया
Padmaja Raghav Science
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
Kanchan Alok Malu
बाल कविता: तितली
बाल कविता: तितली
Rajesh Kumar Arjun
Perhaps the most important moment in life is to understand y
Perhaps the most important moment in life is to understand y
पूर्वार्थ
झुकता हूं.......
झुकता हूं.......
A🇨🇭maanush
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
ढूंढें .....!
ढूंढें .....!
Sangeeta Beniwal
Loading...