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29 Mar 2021 · 1 min read

तभी होगी असल होली

रँगेगा प्यार से जब मन तभी होगी असल होली
न होगा कोई भी दुश्मन तभी होगी असल होली

उड़ाने हौसलों की पार होंगी जब गगन से भी
करेगी कल्पना नर्तन तभी होगी असल होली

बसंती ज़िन्दगी होगी सजन से जब मिलन होगा
घुलेगा सांस में चंदन तभी होगी असल होली

लगाकर सात फेरे जब बँधेंगे एक बंधन में
हमारा होगा घर मधुबन तभी होगी असल होली

हटाकर शूल नफरत के खिलेंगे गुल मुहब्बत के
महक जाएंगे दिल उपवन, तभी होगी असल होली

मिटेंगे बेटा बेटी के बनाये भेद जब दिल से
खिलेगा बेटी से आँगन, तभी होगी असल होली

दिलों की दूरियाँ जब’अर्चना’ नजदीकियाँ होंगीं
बढ़ेगा और अपनापन, तभी होगी असल होली
29-03-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

1 Like · 3 Comments · 600 Views
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