ये कैसा मधुमास आया…
ये कैसा मधुमास आया…
बुझे-बुझे से दिन
मन उचाट उन्मन
न कोई उमंग न तरंग
ये कैसा मधुमास आया !
सूझे न कोई काज
लुटे सकल सुख-साज
स्वप्न हुए सब भंग
ये कैसा मधुमास आया !
मन-विहग विकल
नयन सुर्ख सजल
सर्वत्र दुखद प्रसंग
ये कैसा मधुमास आया !
हुआ नसीब नृशंस
करे ख्बाब विध्वंस
सुख फीके बदरंग
ये कैसा मधुमास आया !
न खिले अधर के फूल
न उड़े उत्तरीय, दुकूल
न हास उल्लास औ रंग
ये कैसा मधुमास आया
सुप्त मंजीर-मृदंग
रखी एक कोने मुरचंग
शिथिल आज सब अंग
ये कैसा मधुमास आया !
कहीं सुकून न चैन
काटे कटे न रैन
डसे खौफ-भुजंग
ये कैसा मधुमास आया !
कटी नेह की चंग
हर सूं नयी एक जंग
हुआ समय मलंग
ये कैसा मधुमास आया !
-डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)